मंगलवार, 31 मार्च 2020

चीन के चायनीज चाल में फंस गई दुनिया?

चायनीज वायरस की चाल में फंस गई दुनिया?

वुहान वायरस, चायनीज वायरस, कोरोना या COVID-19 वायरस की चाल में क्या आज दुनिया फंस गई है। सुपर पावर अमेरिका ने भी क्यो इस चायनीज वायरस के आगे घुटने टेक दिए हैं??

दुनिया मे आज स्पेन, इटली, ईरान, अमेरिका, साउथ कोरिया, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, जर्मनी, भारत, इजरायल, दुनिया के नक्शे पर ये वो देश है जो आज सम्पूर्ण दुनिया की दशा और दिशा तय करते हैं। ये देश प्रभावशाली देशों की सूची में अग्रणी है। दुनिया के राजनीतिक केंद्र है, आज दुनिया की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को चला रहे हैं। लेकिन आज चायनीज वायरस के कारण बंद पड़े हैं।

यूरोप में स्पेन, इटली, जर्मनी, ग्रेट ब्रिटेन का दबदबा है तो अटलांटिक क्षेत्र में अमेरिका और कनाडा के दबदबा है। मिडिल ईस्ट में इजरायल व ईरान का दबदबा कायम है तो वही एशिया देशों में भारत व जापान की तूती बोलती है। बारीकी से नजर डाले तो रूस और उत्तर कोरिया में चायनीज वायरस का असर बहुत ही कम है।

चीन में तो वुहान वायरस ने भयंकर तबाही मचाई थी, यही से यह जानलेवा चायनीज वायरस निकला था। चायना के अनुसार करीब 3300 लोग इस चायनीज वायरस के कारण मर गए थे। फिर भी चीन की गिनती महामारी वाले देशों में क्यो नही हो रही है?

यह एक बहुत बड़ा सवाल है। आइए इसे एक छोटे से उदहारण से समझे कि कोशिश करते हैं।

Wuhan to Shanghai = 839 km

Wuhan to Beijing = 1,152 km

Milan from Wuhan = 15,000 km

Wuhan to New York = 15,000 km

Wuhan to Italy = ,8695km

Wuhan to India = 3,695 km

Wuhan to Iran = 5,667 km

Wuhan to Russia = 3,499 Km

Wuhan to North Korea 1,610 Km

Wuhan to Spain = 9,859 km

Wuhan to England = 8,777 km

Wuhan to israil = 7,399 km

यानी चीन के वुहान के बाद इस चायनीज वायरस ने सब से ज्यादा मौत की तबाही मचाई है वो इटली, स्पेन, जर्मनी, ईरान है और सब से कम कहि असर है तो वो है उत्तर कोरिया।

आज पेरिस, बर्लिन, न्यूयॉर्क, रोम, लंदन दिल्ली और टोकियो भी बंद है। भारत का मुम्बई भी बंद है। इन शहरों में दुनिया के राजनीतिक और अर्थव्यवस्था चलाने वाले लोगो के केंद्र है। जो आज इस वुहान वायरस से जूझ रहे हैं। दुनिया के तमाम नेता, फ़ौज ओर सेवा संस्थायें आज लोगो को बचाने के लिए जी जान से लगे हुए हैं। चाहे वो डॉक्टर हो, फौजी हो, सफाई कर्मचारी हो या कोई सामाजिक संस्थान या भामाशाह, सब का एक ही मकसद है सिर्फ और सिर्फ लोगो को बचाना। चायनीज वायरस ने सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है। हजारों बेगुनाहों की जान चली गई है और लाखों लोग इस चीनी महामारी का शिकार है।

एक ओर दुनिया में लॉक डाउन लगा हुआ है, दुनिया के सभी आर्थिक व राजनीतिक शहर बंद है तो चीन के बीजिंग व शंघाई कैसे खुले हैं? इस चायनीज वायरस ने बीजिंग व शंघाई में अपना असर क्यो नही दिखाया जब कि इन शहरों की दूरी वुहान से इटली अमेरिका, ईरान, इजरायल, भारत से कहि ज्यादा कम है।  रुस ओर उत्तर कोरिया के साथ चीन की सब से ज्यादा सिमा लगती है और दुनिया मे रूस और उत्तर कोरिया इस चीनी वायरस से अभी तक अछूते कैसे है?

शक की सुई चीन की ओर ही घूम रही है।

Wuhan to Shanghai = 839 km

Wuhan to Beijing = 1,152 km

Wuhan to Russia = 3,499 Km

Wuhan to North Korea 1,610 Km


क्यो की जब यह चीनी वायरस हजारों किलोमीटर दूर इटली, अमेरिका, इजरायल, जापान, भारत, ईरान सहित दुनिया के कोने कोने तक फैल सकता है तो रूस, नार्थ कोरिया, शंघाई, बीजिंग तक क्यो नही जा सकता?

शंघाई चीन की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है अर्थात शंघाई में चीन के सभी बड़े बिजनेस मैन ओर पैसे वाले लोग रहते हैं लेकिन किसी को भी कोरोना नही हुआ जबकि दुनिया के कई बड़े बड़े व चर्चित लोग इस चीनी वायरस की गिरफ्त में आ चुके हैं। दुनिया भर के जानकारो का मानना है कि चीनी वायरस वुहान की लैब से निकला चीन का एक जैविक हथियार है। अब सवाल यह हैं कि अगर यह चीन का बायलॉजीकल हथियार है तो इस से चीन को क्या फायदा होगा तो आज दुनिया के शेयर बाजार को देखना जरूरी है। चीनी वायरस के कारण आज दुनिया भर के शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखने को मिल रही है जबकि चीन के शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल देखने में आया है। अमेरिका डॉलर के मुकाबले चीन की मुद्रा मजबूत होती जा रही है। चीन में यूरोपीय देशों की कम्पनियां के शेयर लगातार गिर रहे हैं ओर चीन इस गिरावट का फायदा उठाकर अमरीका व यूरोपीयन देशों की कम्पनियों के शेयर खरीद रहा है।

कैसे अचानक चीन में चीनी वायरस से मरने वालों व संक्रमित लोगो मे कमी आने लगी??

विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीनी वायरस अमरीका व यूरोपियन देशों व अमेरिका के सहयोगी देशों से लड़ने के लिए चीन ने बनाया है क्यो की चीन को पता है कि चीन सीधे तौर पर अमरीका व यूरोपियन यूनियन से नही लड़ सकता है। यह वही चीन है जिस को आर्थिक रूप से तबाह
करने की कसम अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प कई बार खा चुके हैं। आज हालात इतने बुरे है कि दुनिया की सुपर पावर अमरीका भी अपने सब से बुरे दौर से गुजर रहा है। अमरीका को भी समझ में नही आ रहा है कि इस चीनी वायरस से कैसे निपटा जाए? जब दुनियाभर के वैज्ञानिक व डॉक्टर इस चीनी वायरस का इलाज ढूंढने में लगे हुए हैं तो चीन ने कैसे इसे काबू में कर लिया? चीनी वायरस का असर चीन के मित्र देशों पर क्यो नही हो रहा है? अगले कुछ दिनों में चीनी वायरस अमेरिका व यूरोपियन देशों को आर्थिक रूप से तबाह कर सकता है। जिस तेजी से चीन अमेरिका व यूरोपीय देशों की कम्पनियों के शेयर खरीद रहा है उस से अमेरिका की अर्थव्यवस्था खत्म को खत्म किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो चीन दुनिया की अर्थव्यवस्था को अपनी मुट्ठी में कर सकेगा और दुनिया में अमेरिका से सुपरपॉवर का खिताब छीन लेगा और खुद सरताज बन जायेगा।