बुधवार, 7 अगस्त 2019

Sushma Swaraj Ji Biography

भाजपा की फायरब्रांड नेता सुषमा स्वराज मुखर व्यक्तित्व और अपने संवाद के लिए जानी जाती थीं। उनके अटल तर्कों से विरोधी खौफ खाते थे तो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करने की प्रवृत्ति के चलते सम्मान भी देते थे। सुषमा स्वराज सांसद से लेकर केंद्रीय मंत्री, पार्टी पदाधिकारी और विपक्ष की नेता सहित हर मोर्चे पर अव्वल रहीं।

आइए उनके यादगार जीवन पर नजर डालें...

Sushma Swaraj Ji Biography

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 में अम्बाला में हुआ था। सुषमा स्वराज के पिता श्री हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख सदस्य थे। जिस वजह से सुषमा स्वराज ने अपने आसपास संघ और राजनीति का असर शुरु से देखा। हालांकि सुषमा स्वराज ने अपने पिता से अलग अपने दम पर अपनी पहचान बनाई।

सुषमा स्वराज जी की शिक्षा – Sushma Swaraj Education
सुषमा स्वराज ने अम्बाला छावनी के एस.डी कॉलेज से बीए की पढ़ाई करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान अपनी सोच और हर बात को कहने की आदत ने उन्हें सर्वोच्चन वक्ता का सम्मान मिला। यही नहीं सुषमा स्वराज कॉलेज के दिनों में एनसीसी की सर्वोच्च कैडेट भी रही। सुषमा को लगातार 3 साल तक राज्य की सर्वोच्च वक्ता का सम्मान भी मिला।

सुषमा स्वराज जी का व्यक्तिगत जीवन – Sushma Swaraj in Hindi
सुषमा स्वराज ने स्वराज कौशल (Sushma Swaraj Husband) से शादी की है। स्वराज कौशल सुषमा स्वराज के साथ सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता के पद पर कार्यरत थे। स्वराज कौशल सबसे कम उम्र में राज्यपाल का पद प्राप्त करने वाले व्यक्ति है। वह मिजोरम के राज्यपाल रहे है।

स्वराज कौशल 6 साल तक राज्यसभा सांसद भी रहे है। स्वराज दम्पति की उपलब्धियों के लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है। सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल की एक बेटी है जिसका नाम बांसुरी (Sushma Swaraj Daughter) है बांसुरी लंदन के इनर टेम्पल में वकालत की पढ़ाई कर रही है।

सुषमा स्वराज जी का राजनैतिक सफ़र – Sushma Swaraj Political Career
उन दिनों देश में आपातकाल लगा था और जयप्रकाश नारायण आपातकाल के पुरजोर विरोधी थे। आपतकाल से लोगों की स्थिति को बहुत खराब थी। इसी को देखते हुए सुषमा स्वराज ने भी जयप्रकाश नारायण के आंदोलन का हिस्सा बने का फैसला लिया। सुषमा स्वराज ने इस आन्दोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

इसके बाद सुषमा स्वराज का राजनीतिक सफर शुरु हुआ। उन्होनें जनसंघ पार्टी को ज्वाइन किया जिसे आज भारतीय जनता पार्टी के नाम से जाना जाता है।

राजनीति में आने से पहले सुषमा स्वराज ने सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता के पद पर भी काम किया। सुषमा स्वराज को राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने का सम्मान भी प्राप्त है। सुषमा स्वराज 1977 पहली बार हरियाणा विधानसभा की सदस्य चुनी गई।

इस दौरान उन्हें हरियाणा सरकार में श्रम रोजगार मंत्री बनाया गया। इसके बाद साल 1988 में सुषमा स्वराज को एक बार फिर हरियाणा विधानसभा सदस्य चुना गया। इस बार उन्हें शिक्षा खाद्य और नागरिक मंत्री चुना गया।

साल 1990 में सुषमा स्वराज पहली बार राज्यसभा की सदस्य चुनी गई। इसके बाद साल 1996 में सुषमा स्वराज लोकसभा सदस्य चुनी गई। 1996 में बनी केंद्र सरकार में सुषमा स्वराज को सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय सौंपा गया। इसके बाद साल 1998 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी।

सुषमा स्वराज देश की राजधानी दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। हालांकि कुछ समय बाद ही उन्होनें दिल्ली विधानसभा पद से इस्तीफा दे दिया और लोकसभा सदस्य का पद जारी रखा। इसके बाद 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें दोबारा सूचना एंव प्रसारण मंत्री चुना गया। इसके बाद जब भी भाजपा की सरकार केंद्र में आई। सुषमा स्वराज को उनकी काबलियत को देखते हुए अहम मंत्रालय सौंपा गया था।

सुषमा स्वराज हरियाणा की विदिशा सीट से लोकसभा सदस्य भी थी। साथ ही विदेश मामलों में संसदीय स्थायी समिति की अध्यक्षा भी थी। सुषमा स्वराज को उनकी स्ट्रॉन्ग पर्सनैलिटी के लिए जाना जाता था। जो गलत पर किसी के भी खिलाफ बोलने से नहीं झिझकती थी।

सुषमा स्वराज जी का निधन – Sushma Swaraj Death
सुषमा स्वराज का 6 अगस्त 2019 में 67 साल की उम्र में हार्ट अटैक की वजह से एम्स में निधन हुआ। उनके निधन से कुछ दोनों पहले से ही उनकी तबियत ठीक नहीं थी।

नौ बार सांसद रह चुकी सुषमा स्वराज की आम लोगों मे अपार लोकप्रिय थीं। सुषमा स्वराज जी दिल्ली की सन 1977 में सबसे कम उम्र की राज्यमंत्री बनी थीं।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज है। सुषमा स्वराज तीन साल तक राज्य की प्रवक्ता रही है। राजनीति में आने के बाद सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की पहली राष्ट्रीय मंत्री बनी। इसके बाद वो भाजपा की पहली महिला राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनी। वे कैबिनेट में भाजपा की पहली महिला मंत्री थी।

सुषमा स्वराज भारत की संसद में सर्वेक्षेष्ठ सांसद का सम्मान पाने वाली पहली महिला थी। इसके अलावा देश की राजधानी दिल्ली की वो पहली महिला मुख्यमंत्री भी थी स्वराज को देश की पहली महिला विदेश मंत्री होने का गर्व भी प्राप्त है।

यकीन करना मुश्किल होता है कि उस दौर में जब कई महिलाएं अपने अस्तित्व, अधिकारों से भी अनजान थी उस दौर में सुषमा स्वराज जैसी महिलाएं भी थी जिन्होनें राजनीतिक बैकग्राउंड न होने के बावजूद भी राजनीति में कदम रखा और राजनीति में लगातार सक्रिय बनी रही।

राजनीति के क्षेत्र में पहली महिला मुख्यमंत्री से लेकर पहली महिला विदेश मंत्री तक उन्होनें हर रिकॉर्ड को न केवल अपने नाम किया बल्कि महिलाओं को राजनीति में आकर देश बदलने के लिए प्रेरित भी किया।

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