11 मार्च सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक शिव योग रहेगा। उसके बाद सिद्ध योग लग जायेगा। जोकि 12 मार्च सुबह 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं | इसके साथ ही रात 9 बजकर 45 मिनट तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021
महानिशीथ काल - 11 मर्च रात 11 बजकर 44 मिनट से रात 12 बजकर 33 मिनट तक
निशीथ काल पूजा मुहूर्त : 11 मार्च देर रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
अवधि-48 मिनट
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त : 12 मार्च सुबह 6 बजकर 36 मिनट 6 सेकंड से दोपहर 3 बजकर 4 मिनट 32 सेकंड तक।
चतुर्दशी तिथि शुरू: 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च दोपहर 3 बजकर 3 मिनट
महाशिवरात्रि के दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर शिवालय में शिवलिंग का जल अथवा पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। पंचामृत में आप दूध, दही, घी, शहद, शक्कर और गंगाजल का इस्तेमाल करें। इसके बाद सफेद चंदन का तिलक लगाएं। तत्पश्चात सफेद फूल, माला आदि भगवान को अर्पित करें। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, भांग आदि जरुर चढ़ाएं। शिवरात्रि के दिन इन चीजों का विशेष महत्व होता है। इसके बाद आप 'ऊँ नम: शिवाय' मंत्र का एक माला जप करें। और धूप-दीप जलाकर शिवजी की आरती करें। और इस दिन पूरा दिन उपवास जरुर करें। इस दिन सुबह और प्रदोष काल में शिवजी की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। साथ ही इस दिन रात्रि के दौरान चारों पहर में पूजा करने का विशेष लाभ होता है। शिव पूजा में रूद्राभिषेक का भी विशेष महत्व बताया गया है। अगर संभव हो तो पूरे परिवार के साथ इस दिन रूद्राभिषेक का आयोजन करवाएं। और इस दिन शिवजी के पाठ में शिवपुराण, शिवपंचाक्षर, शिव स्तुति, शिवाष्टक, शिव चालीसा और शिवरूद्राष्टक का पाठ करना अत्यंत शुभ रहता है।
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021
महानिशीथ काल - 11 मर्च रात 11 बजकर 44 मिनट से रात 12 बजकर 33 मिनट तक
निशीथ काल पूजा मुहूर्त : 11 मार्च देर रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
अवधि-48 मिनट
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त : 12 मार्च सुबह 6 बजकर 36 मिनट 6 सेकंड से दोपहर 3 बजकर 4 मिनट 32 सेकंड तक।
चतुर्दशी तिथि शुरू: 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च दोपहर 3 बजकर 3 मिनट
महाशिवरात्रि के दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर शिवालय में शिवलिंग का जल अथवा पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। पंचामृत में आप दूध, दही, घी, शहद, शक्कर और गंगाजल का इस्तेमाल करें। इसके बाद सफेद चंदन का तिलक लगाएं। तत्पश्चात सफेद फूल, माला आदि भगवान को अर्पित करें। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, भांग आदि जरुर चढ़ाएं। शिवरात्रि के दिन इन चीजों का विशेष महत्व होता है। इसके बाद आप 'ऊँ नम: शिवाय' मंत्र का एक माला जप करें। और धूप-दीप जलाकर शिवजी की आरती करें। और इस दिन पूरा दिन उपवास जरुर करें। इस दिन सुबह और प्रदोष काल में शिवजी की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। साथ ही इस दिन रात्रि के दौरान चारों पहर में पूजा करने का विशेष लाभ होता है। शिव पूजा में रूद्राभिषेक का भी विशेष महत्व बताया गया है। अगर संभव हो तो पूरे परिवार के साथ इस दिन रूद्राभिषेक का आयोजन करवाएं। और इस दिन शिवजी के पाठ में शिवपुराण, शिवपंचाक्षर, शिव स्तुति, शिवाष्टक, शिव चालीसा और शिवरूद्राष्टक का पाठ करना अत्यंत शुभ रहता है।
घर पर ही महाशिवरात्रि पूजन की अत्यंत आसान विधि। यह पूजन विधि जितनी आसान है उतनी ही फलदायी भी। भगवान शिव अत्यंत सरल स्वभाव के देवता माने गए हैं अत: उन्हें सरलतम तरीकों से ही प्रसन्न किया जा सकता है।
वैदिक शिव पूजन - भगवान शंकर की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन करें। यज्ञोपवित धारण कर शरीर शुद्ध करें। तत्पश्चात आसन की शुद्धि करें। पूजन-सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें।
अब स्वस्ति-पाठ करें।
स्वस्ति-पाठ -
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:, स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु।
- इसके बाद पूजन का संकल्प कर भगवान गणेश एवं गौरी-माता पार्वती का स्मरण कर पूजन करना चाहिए।
यदि आप रूद्राभिषेक, लघुरूद्र, महारूद्र आदि विशेष अनुष्ठान कर रहे हैं, तब नवग्रह, कलश, षोडश-मात्रका का भी पूजन करना चाहिए।
संकल्प करते हुए भगवान गणेश व माता पार्वती का पूजन करें फिर नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय (स्त्रियां कार्तिकेय का पूजन नहीं करें) एवं सर्प का संक्षिप्त पूजन करना चाहिए।
- इसके पश्चात हाथ में बिल्वपत्र एवं अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें।
भगवान शिव का ध्यान करने के बाद आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं।
- इसके बाद भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान कराएं। फिर सुगंध-स्नान कराएं फिर शुद्ध स्नान कराएं।
अब भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं। वस्त्र के बाद जनेऊ चढाएं। फिर सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढाएं।
अब भगवान शिव को विविध प्रकार के फल चढ़ाएं। इसके पश्चात धूप-दीप जलाएं।
हाथ धोकर भोलेनाथ को नैवेद्य लगाएं।
नैवेद्य के बाद फल, पान-नारियल, दक्षिणा चढ़ाकर आरती करें। (जय शिव ओंकारा वाली शिव-आरती)
- इसके बाद क्षमा-याचना करें।
क्षमा मंत्र : आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:।
इस प्रकार संक्षिप्त पूजन करने से ही भगवान शिव प्रसन्न होकर सारे मनोरथ पूर्ण करेंगे। घर में पूरी श्रद्धा के साथ साधारण पूजन भी किया जाए तो भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं।
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