शनिवार, 19 जून 2021

Shiv Sanskrit Stotra

Shiv Sanskrit Stotra | शिव सस्कृत स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

मनो बुद्धि अहंकार चित्तानी नाहं नच श्रोत्र जिव्हे नच घ्राण नेत्रे नच व्योम भूमि न तेजो न वायु चिदानन्दरूपः शिवोऽहम्शिवोऽहम् ||1||

मैं न तो मन हूँ, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं मैं न तो कान हूं, न जीभ, न नासिका, न ही नेत्र हूं मैं न तो आकाश हूं, न धरती, न अग्नि, न ही वायु हूं मैं तो शुद्ध चेतना हूं, मैं तो अनादि ओर अनंत शिव हूं।।

नच प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायुः नवा सप्तधातुर्नवा पञ्चकोशः न वाक्पाणिपादौन च उपस्थ पायुः चिदानन्दरूपः शिवोऽहम्शिवोऽहम् || 2 ||



मैं न प्राण हूं, न ही पंच वायु हूं, मैं न सात धातु हूं, और न ही पांच कोश हूं, मैं न वाणी हूं, न हाथ हूं, न पैर, न ही उत्सर्जन की इन्द्रियां हूं, मैं तो शुद्ध चेतना हूं, मैं तो अनादि अनंत शिव हूं।।

नमे द्वेषरागौ नमे लोभ मोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः न धर्मोनचार्थो न कामो न मोक्षः चिदानन्दरूपः शिवोऽहम्शिवोऽहम् || 3 ||

न मुझे किसी से घृणा है न लगाव है, न मुझे कोई लोभ है और न मोह, न मुझे अभिमान है और न किसी से न ईर्ष्या, मैं धर्म, धन, काम एवं मोक्ष से परे हूं। मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि अनंत शिव हूं।।

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखम् नमन्त्रो न तीर्थं न वेदान यज्ञाः अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूपः शिवोऽहम्शिवोऽहम् || 4 ||

मैं पुण्य, पाप, सुख और दुख से विलग हूं। मैं न मंत्र हूं न तीर्थ, न ज्ञान , न ही यज्ञ। न मैं भोजन ( भोगने की वस्तु ) हूं, न ही भोग का अनुभव, और न ही भोक्ता। मैं तो शुद्ध चेतना हूं, मैं तो आदि अनंत शिव हूं।।



नमे मृत्युशंका नमे जातिभेदः पिता नैव मे नैव माता न जन्म : न बन्धुर्न मित्रं गुरु व शिष्यः चिदानन्द रूपः शिवोऽहम्शिवोऽहम् || 5||

न मुझे मृत्यु का डर है, न जाति का भेदभाव मेरा न कोई पिता है, न माता, न ही मैं कभी जन्मा था मेरा न कोई भाई है, न मित्र, न कोई गुरू, न शिष्य,  मैं तो शुद्ध चेतना हूं, मैं तो अनादि अनंत शिव हूं।।

अहं निर्विकल्पो निराकार रूपों विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् नचासंगतंनैवमुक्तिर्नमेयः चिदानन्द रूप : शिवोऽहम्शिवोऽहम् ||6||

मैं निर्विकल्प हूं, निराकार हूं मैं चैतन्य के रूप में सब जगह व्याप्त हूं सभी इन्द्रियों में हूं, न मुझे किसी चीज में आसक्ति है, न ही मैं उससे मुक्त हूं, मैं तो शुद्ध चेतना हूं, मैं अनादि, अनंत शिव हूं।।

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