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बुधवार, 2 दिसंबर 2020

Kumbhalgarh Fort The Heart Of Rajasthan

Rana Kumbha constructed the Kumbhalgarh Fort in 1458AD. It took around fifteen years to compete the construction.

The fort that has made its mark in history as the second largest wall after the Great Wall of China – it is none but the Kumbhalgarh fort in Rajasthan. The mighty fort is 3600 ft tall and 38km long that surrounds the area of Udaipur. It was considered to have been built by Rana Kumbha in the 15th century. The fort is further declared a UNESCO World Heritage Site that is under the group Hill Forts of Rajasthan. It is located strategically on the western Aravalli hills.

Having witnessed a large number of wars, the hill serves as the boundary that is unbreakable. The fort that has seven fortified gateways and a number of Jain temples within it , along with the Lakhola Tank which is the most famous tank
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Rana Kumbha belonged to the Sisodia Rajput clan and gave the task to Mandan to design the architecture of the fort. The kingdom of Rana Kumbha was extended to Gwalior from Mewar which also included a large part of Madhya Pradesh. Besides Kumbhalgarh Fort, Rana Kumbha built 31 more forts to protect his kingdom.

Kumbhalgarh Fort under Rana Uday Singh

When Rana Uday Singh was a baby, he was brought to this fort during the siege of Chittorgarh Fort in 1535. Panna Dhai brought after the death of his father. He was the king who founded the city of Udaipur during his reign

Attacks on Kumbhalgarh Fort

Alauddin Khilji attacked the fort and invaded it in 1303. Another attack was done by Ahmed Shah of Gujarat but it was made unsuccessful. Ahmed Shah destroyed the Banmata temple as it was believed that the deity saved the fort from attacks. Mahmud Khilji attacked the fort in 1458, 1459, and 1467 but could not succeed in winning the fort.
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The combined forces of Emperor Akbar, Raja Uday Singh of Marwar, Raja Man Singh of Amer, and Mirzas of Gujarat also attacked the fort. Shahbaz Khan, a general of Emperor Akbar, took control of the fort. In 1818, Marathas took over the fort.

Built in -15th century, between AD 1443 and 1458

Commissioned by Kumbha or Rana Kumbha of the Mewar kingdom

Architectural Style - Rajput military hill architectural style

Architect - Mandan



राजस्थान में किलों की संख्या अनगनित हैं जिनमें कुम्भलगढ़ का किला भी मुख्य हैं। 30 किलोमीटर के विशाल धरातलीय भूभाग में फैला यह किला मेवाड़ के प्राचीन इतिहास तथा वीरता का साक्षी रहा हैं।
मेवाड़ के महान प्रतापी राजा महाराणा कुम्भा ने इसका निर्माण करवाया था।

कुम्भलगढ़ दुर्ग- इस महान दुर्ग को बनाने में 15 वर्षों का समय लगा था। राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित इस किले को अजेयगढ़ उपनाम से जाना जाता था, क्योंकि इसकी प्रहरी मोटी दीवार को चीन की दी वॉल ऑफ चायना    के बाद संसार की सबसे दूसरी बड़ी दीवार कुम्भलगढ की दीवार को माना जाता हैं। अरावली की घाटियों में स्थित कुम्भलगढ़ महाराणा प्रताप की जन्म स्थली रहा हैं। कुम्भलगढ़ का दुर्भेद्य किला राजसमंद जिले में सादड़ी गाँव के पास अरावली पर्वतमाला के एक उतुंग शिखर पर स्थित हैं। कहा जाता है की मौर्य शासक सम्प्रति द्वारा निर्मित प्राचीन दुर्ग के अवशेषों पर 1448 ई में महाराणा कुम्भा ने इस दुर्ग की नीव रखी थी। जो प्रसिद्ध वास्तुशिल्प मंडन की देखरेख में 1458 ईस्वी में बनकर तैयार हुआ था। एक इतिहासकार के अनुसार इसकी चोटी समुद्रतल से 3568 फीट और नीचे की नाल से ७०० फीट ऊँची हैं।
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बीहड़ वन से आवृत कुम्भलगढ़ दुर्ग संकटकाल में मेवाड़  का महत्वपूर्ण आश्रय स्थल रहा हैं। कुम्भलगढ़ दुर्ग के समीप पर्वत श्रंखलाओं में श्वेत, नील, हेमकूट, निषाद, हिमवत, गंधमादन इत्यादि नाम मिलते हैं। इतिहासकारो के अनुसार चित्तौड़ के बाद कुम्भलगढ़ दूसरे नंबर पर आता हैं।

अबुल फजल ने कुम्भलगढ़ की उंचाई के बारे में लिखा हैं कि यह इतनी बुलंदी पर बना हुआ हैं कि नीचे से ऊपर देखने पर सिर की पगड़ी गिर जाती हैं। कुम्भलगढ़ मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी रहा हैं। महाराणा प्रताप का जन्म उदयसिंह का राज्याभिषेक और महाराणा कुम्भा की हत्या का साक्षी यह किला रहा है। मालवा ओर गुजरात के शाशको के काफी प्रयासों के बावजूद भी वे उस पर अधिकार करने में असफल रहे थे। 1578 ई में मुगल सेनानायक शाहबाज खां ने इस पर अल्पकाल के लिए अधिकार कर लिया था किन्तु कुछ समय बाद ही महाराणा प्रताप ने इसे पुनः अधिकार में ले लिया था तब से स्वतंत्रता प्राप्ति तक यह किला मेवाड़ के शासकों के पास ही रहा है।

।। जय जय मारवाड़~जय जय राजस्थान ।। 🙏

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