मत्स्य अवतार
भगवान विष्णु के दशावतार में प्रथम अवतार मत्स्य अवतार है। पृथ्वी पर एक बहुत धर्मात्मा राजा सत्यव्रत रहता था एक दिन प्रातः वह नदी में सूर्यदेव को अग्र दे रहे थे। तब उनके हाथो के जल में एक छोटी सी मछली(मत्स्य) आई और वह मछली बोली है राजन, आप मेरी रक्षा कीजिए अगर आप मुझे इस जल में वापस छोड़ देंगे तो मुझे यहां बडी मछली खा जाएँगी एक राजा का कर्तव्य होता है कि वह हर प्राणी की रक्षा करे अतः है राजन आप मेरी भी रक्षा कीजिए और आप मुझे अपने राज्य में छोटा सा स्थान देने की कृपा करे।
PC @jegarupan_vathumalai/Instagram
राजा बोले ठीक है मैं तुम्हे अपने महल में ले चलता हूं। राजा महल में पहुंचे और एक छोटे से सोने के पात्र में जल भरकर उसे उस सोने के पात्र में डाल दिया और कहा कि अब तुम सुरक्षित हो और यह कह कर वहां से चल दिए थोड़ी देर बाद मछली ने फिर पुकारा राजन मेरी रक्षा करो इस जल पात्र में मेरा दम घुट रहा है मुझे सांस लेते नहीं आ रहा है यह सुनकर राजा वापस आया और देखा कि वह मछली सोने के पात्र उतनी बड़ी हो गई है राजा सोचने लगा की इतनी जल्दी यह मछली इतनी बड़ी कैसे हो गई राजा को आश्चर्य हुआ राजा ने उसे दूसरे बड़े पात्र में डाल दिया फिर राजा जाने लगे थोड़ी देर बाद मछली फिर पुकारने लगी राजन मेरी मदद करो मुझे सांस लेने में दिक्कत आ रही है, राजा फिर वापस आए और उसे देखा तो वह मछली बड़े पात्र उतनी बड़ी हो गई राजा फिर सोचने लगा की इतनी जल्दी कोई मछली कैसे बड़ी हो सकती है राजा को लगा कि यह कोई चमत्कारी मछली है फिर राजा ने सोचा की यह मछली इतनी जल्दी बड़ी हो रही है इसे अब समुद्र में ही छोड़ना पड़ेगा।
राजा ने उस मछली को समुद्र में छोड़ा छोड़ते ही उस मछली (मत्स्य)का आकार और अधिक बढ़ने लगा राजा समझ गया की यह मछली के रूप में कोई दैविक शक्ति है राजा ने मछली के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना की मैंने अपने जीवन में इतनी तीव्रता से बढ़ता जल जीव या अन्य कोई जीव नहीं देखा आप मुझ पर कृपा करें अपने असली रूप में आने की
राजा की इस प्रार्थना को सुनकर भगवान विष्णु ने अपना चतुर्भुज रूप दिखाया राजा कहने लगे की हे प्रभु आपको मेरा शत शत नमन कि आप मेरे महल में आए कभी कभी आप इतना सूक्ष्म रूप ले लेते हैं कि मनुष्य के हाथों में आ जाते हैं और कभी इतना विशालकाय रूप ले लेते हैं की यह ब्रह्मांड भी छोटा लगने लगता है
फिर भगवान विष्णु ने कहा कि हे राजन आज से 7 दिन बाद भूलोक समित तीनों लोक प्रलय के कारण जल मगन हो जाएंगे और पृथ्वी से जीवन समाप्त हो जाएगी क्योंकि वह रात ब्रह्मा जी की निंद्रा की रात होगी।
तब वहां पर मेरी प्रेरणा से एक बड़ी नौका आएगी उसमें आप, आपकी पत्नी सप्त ऋषि सूक्ष्मजीव और पशु पक्षी के एक एक जोड़ें, बीज इत्यादि रख लेना और बैठ जाना जब तुम्हारी नौका प्रचंड आंधी में डगमगायेगी तब मैं वहां अपने इस मत्स्य रूप में आऊंगा तुम लोग वासुकी नाग को मेरे सिंग (मत्स्य) से बांध देना जब तक ब्रह्मा जी की रात रहेगी तब तक मैं तुम्हारी नौका को खींचते रहूंगा जैसे ही ब्रह्मा जी की रात निकल जाएगी और ब्रह्मा जी की सुबह होगी में तुम्हारी नौका को सुमेरू पर्वत पर ले जाऊंगा और तुम वहा से नवीन जीवन प्रारम्भ करना और तुम पृथ्वी पर मनु के रूप में नई संस्कृति लेकर आओगे और एक मन्वंतर तक सृष्टि का संचालन करोगे।
राजा बोले ठीक है मैं तुम्हे अपने महल में ले चलता हूं। राजा महल में पहुंचे और एक छोटे से सोने के पात्र में जल भरकर उसे उस सोने के पात्र में डाल दिया और कहा कि अब तुम सुरक्षित हो और यह कह कर वहां से चल दिए थोड़ी देर बाद मछली ने फिर पुकारा राजन मेरी रक्षा करो इस जल पात्र में मेरा दम घुट रहा है मुझे सांस लेते नहीं आ रहा है यह सुनकर राजा वापस आया और देखा कि वह मछली सोने के पात्र उतनी बड़ी हो गई है राजा सोचने लगा की इतनी जल्दी यह मछली इतनी बड़ी कैसे हो गई राजा को आश्चर्य हुआ राजा ने उसे दूसरे बड़े पात्र में डाल दिया फिर राजा जाने लगे थोड़ी देर बाद मछली फिर पुकारने लगी राजन मेरी मदद करो मुझे सांस लेने में दिक्कत आ रही है, राजा फिर वापस आए और उसे देखा तो वह मछली बड़े पात्र उतनी बड़ी हो गई राजा फिर सोचने लगा की इतनी जल्दी कोई मछली कैसे बड़ी हो सकती है राजा को लगा कि यह कोई चमत्कारी मछली है फिर राजा ने सोचा की यह मछली इतनी जल्दी बड़ी हो रही है इसे अब समुद्र में ही छोड़ना पड़ेगा।
राजा ने उस मछली को समुद्र में छोड़ा छोड़ते ही उस मछली (मत्स्य)का आकार और अधिक बढ़ने लगा राजा समझ गया की यह मछली के रूप में कोई दैविक शक्ति है राजा ने मछली के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना की मैंने अपने जीवन में इतनी तीव्रता से बढ़ता जल जीव या अन्य कोई जीव नहीं देखा आप मुझ पर कृपा करें अपने असली रूप में आने की
राजा की इस प्रार्थना को सुनकर भगवान विष्णु ने अपना चतुर्भुज रूप दिखाया राजा कहने लगे की हे प्रभु आपको मेरा शत शत नमन कि आप मेरे महल में आए कभी कभी आप इतना सूक्ष्म रूप ले लेते हैं कि मनुष्य के हाथों में आ जाते हैं और कभी इतना विशालकाय रूप ले लेते हैं की यह ब्रह्मांड भी छोटा लगने लगता है
फिर भगवान विष्णु ने कहा कि हे राजन आज से 7 दिन बाद भूलोक समित तीनों लोक प्रलय के कारण जल मगन हो जाएंगे और पृथ्वी से जीवन समाप्त हो जाएगी क्योंकि वह रात ब्रह्मा जी की निंद्रा की रात होगी।
तब वहां पर मेरी प्रेरणा से एक बड़ी नौका आएगी उसमें आप, आपकी पत्नी सप्त ऋषि सूक्ष्मजीव और पशु पक्षी के एक एक जोड़ें, बीज इत्यादि रख लेना और बैठ जाना जब तुम्हारी नौका प्रचंड आंधी में डगमगायेगी तब मैं वहां अपने इस मत्स्य रूप में आऊंगा तुम लोग वासुकी नाग को मेरे सिंग (मत्स्य) से बांध देना जब तक ब्रह्मा जी की रात रहेगी तब तक मैं तुम्हारी नौका को खींचते रहूंगा जैसे ही ब्रह्मा जी की रात निकल जाएगी और ब्रह्मा जी की सुबह होगी में तुम्हारी नौका को सुमेरू पर्वत पर ले जाऊंगा और तुम वहा से नवीन जीवन प्रारम्भ करना और तुम पृथ्वी पर मनु के रूप में नई संस्कृति लेकर आओगे और एक मन्वंतर तक सृष्टि का संचालन करोगे।
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ॐ नमो नारायण 💙🕉💛🐚🌈🌷🔆❤️🕉🌀📿🌈💖
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Make Sanatan Great Again 🚩🕉️🙏