Translate

बुधवार, 7 अक्टूबर 2020

भगवान श्री कृष्ण की पितामाह भीष्म को चेतावनी

धर्म के भीतर भी अधर्म हुआ जो आज इस अधर्म को विनाश करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लिया था । महाभारत एक धर्म युद्ध था। जो अपने अपने धर्म को निभाते गया और इधर कब पाप होता गया इसकी भनक तक नहीं लगी किसी को। अधर्म का विनाश करने हेतु भगवान श्री कृष्ण ने ऐसा खेल रचाया ताकि अधर्म की जीत ना हो सके ओर धर्म की विजय हो। धर्म कहता है कि, यदि कोई सत चरित्र मनुष्य के किसी प्रकार से प्राण संकट में हैं तो आप झूठ का सहारा लेकर उसे बचा सकते हैं आपको कोई पाप नहीं लगता है ।

भगवान श्री कृष्ण ने कुछ ऐसे ही किया था।
.
.
महाभारत युद्ध शुरू हो गया था, इधर भीष्म पितामह अपने ही पोता को कैसे मारेंगे पांडव पुत्र तो अपने ही पुत्र है ना और अपने हाथों से कैसे प्रहार करेंगे? इसी विचार में उन के 2 दिन 3 दिन बीत चुके थे। कोई हथियार नहीं उठाया और ना ही किसी से युद्ध किया।
इधर दुर्योधन मामा शुकुनी को कहने लगा कि मामा, पितामाह को सेना का मंत्री बनाकर बहुत बड़ी गलती की वह पांडवों को मारना नहीं चाहते है और अपने वचन को पूरा करना नहीं चाहते है। दुर्योधन की इस तरह की बाते सुन कर भीष्म पितामाह ने अपना प्रण ले लिया कि मैं पांडवों पर प्रहार करूँगा। भीष्म पितामह दुर्योधन के आगे विवश थे, क्योंकि उन्होंने जो वचन दिया वह पूरा करने में सक्षम थे और जिसको भी वचन देते थे, पितामाह वह वचन निभाने का प्रयास करते थे। जो सत्य वचन देते हैं वो सत्य की कर्म करते हैं। अपने वचनों से पीछे नही हटते है। भीष्मपितामह ने अगले दिन युद्ध में हथियार उठाया और पांडवों पर प्रहार करने लगे। ऐसे युद्ध किया की पांडवों के लाखों सैनिक मारे गए। भीष्म पितामह के आगे ऐसे कोई योद्धा नहीं था भगवान श्री कृष्ण के अलावा। भगवान श्री कृष्ण ने देखा कि यदि हम पितामाह को नहीं रुकेंगे तो यह सारे पांडवों को विनाश कर देंगे। इसी कारण उन्होंने भीष्मपितामह के सामने गए और कहने लगे पितामह आपने वचन दिया था कि आप अधर्म ओर असत्य का साथ नही देंगे किंतु आप इस समय अधर्म का साथ दे रहे हैं आप ने कहा था कि अगर में जब अधर्म असत्य का साथ देना पड़ेगा तो इससे पहले आप अपने प्राण खुद त्याग देंगे। सबसे बड़ा अधर्म कर रहे हैं लेकिन आपने ऐसा नहीं किया ।
भीष्म पितामाह ने क्रोधित होकर कहने लगे कि मेरे वचन के आगे और कुछ नहीं है मैं अपने वचन को निभाने मैं सक्षम हूं। भीष्म पितामाह की ऐसी बात सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने क्रोधित होकर रथ से नीचे उतरकर अपने हाथ मे रथ का पहिया किया, (क्यो की भगवान श्रीकृष्ण ने वचन दिया था कि वो युद्ध मे अस्त्र शस्त्र नही उठाएंगे) रथ पहिया हाथ में लेकर कहने लगे मैंने जो प्रण लिया था की युद्ध के समय अस्त्र नहीं उठाऊंगा लेकिन आपने इस (दुर्योधन) अधर्मी का साथ देकर जो अधर्म कर रहे हैं मैं आप का विनाश कर सकता हूं।

आपके प्राण मेरे अधीन है, चाहूं तो मैं आपका अभी वध कर सकता हूं। यह संसार मैं हूं , मैं ही ब्रह्मा हूं, मैं ही शिव हु, मैं ही सत्य हूं। आप अधर्म के साथ हैं ओर मैं अपने वचन निभाने के लिए आप को क्षण भर में समाप्त कर सकता हूं।

भगवान श्री कृष्ण का ऐसा रूप देखा इधर अर्जुन डर गया और भगवान श्री कृष्ण के पैर पकड़ कर कहने लगा कि है, माधव आप ने तो प्रण लिया था कि आप युद्ध के वक्त अस्त्र नहीं उठाएंगे तो आप ऐसे क्यों करने जा रहे हैं माधव? आप शांत हो जाइए माधव, शांत हो जाइए। अर्जुन की बात सुनकर भगवान श्री कृष्ण शांत हुई और फिर भीषण युद्ध चलने लगा।
.
.
.
।। जयश्रीकृष्ण , ॐ नमो नारायण भगवते वासुदेवाय नमः ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें