इस महाशिवरात्रि पर पहली बार सद्गुरु जी द्वारा रुद्राक्ष दीक्षा दी जा रही है। सद्गुरु धरती के हर इंसान को इन प्राण-प्रतिष्ठित रुद्राक्षों के रूप में, अध्यात्म की कम से कम एक बूंद भेंट कर रहे हैं। यह आदियोगी शिव की कृपा पाने का अनूठा अवसर है।
आज ही रुद्राक्ष दीक्षा सामग्री के लिए पंजीकरण करें, यह पूरी तरह निःशुल्क है।
रुद्राक्ष दीक्षा पैकेज में निम्न प्रसाद शामिल हैं, जो पूरी तरह निःशुल्क है।
1. रुद्राक्ष
रुद्र का अर्थ है शिव, अक्ष का अर्थ है अश्रु। रुद्राक्ष शिव के आंसू हैं। मान्यता है कि एक बार, शिव लंबे समय तक ध्यान में बैठे रहे। वे परम आनंद में निश्चल होकर कई वर्षों तक बैठे रहे। ऐसा लगता था कि वे सांस भी नहीं ले रहे हैं, वे जीवित हैं इसका एक ही संकेत था - परमानंद के आँसू जो उसकी आँखों से टपक रहे थे। ये अश्रु पृथ्वी पर गिर गए और रुद्राक्ष बन गया।
अभय सूत्र - यह प्राण-प्रतिष्ठित धागा कलाई पर बांधा जाता है (महिलाओ की बाई, पुरुषों की दाईं)। इसे कम से कम 40 दिन पहनना चाहिए। यह डर दूर और महत्वाकांक्षाएं पूरी करता है। इसे गाँठ खोलकर या जलाकर उतारना चाहिए (न कि काटकर) और फिर गाड़ना चाहिए।
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ईशा विभूति – ध्यानलिग में प्राण- प्रतिष्ठित यह विभूति लगाने से आध्यात्मिक ग्रहणशीलता बढ़ती है।
आदियोगी शिव की तस्वीर - पहले योगी जिन्होंने योग विज्ञान की दीक्षा दी।
अधिक जानकारी के लिए आप ईशा आश्रम की आधिकारिक वेबसाइट पर जाए.
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नोट- हमारे द्वारा दी गई जानकारी ईशा फाउंडेशन की आधिकारिक वेबसाइट से ली गई है कृपया आप अपने विवेक से काम लेवे।
आधिकारिक वेबसाइट registration Link
https://mahashivarathri.org/en/rudraksha-diksha/registration
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