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शुक्रवार, 5 जून 2020

10 Lessons From Lord Shiva You Can Apply To Your Life

1.कभी भी बुराई को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।

भगवान शिव को बुराई का नाश करने वाले के रूप में जाना जाता था। वह अन्याय को बर्दाश्त नहीं करते हैं और निष्पक्ष तरीके से दुष्ट राक्षसों को नष्ट करते है। इसी तरह हमें भी अपने आस-पास हो रही बुराई को नही स्वीकार करना चाहिए और अन्याय के खिलाफ एक स्टैंड लेने की कोशिश करनी चाहिए। जिस से हम किसी बुराई को नही पनपने देंगे।

2.आत्म-नियंत्रण जीवन को पूर्णता से जीने की कला है।

भगवान शिव हजारो वर्षो तक ध्यान मुद्रा में रहते है वे संसार को अपनी ध्यान मुद्रा में भी सरलता से संचालित कर रहे हैं।

एक अनियंत्रित मन आपको विनाशकारी जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकता है। जब आप ध्यान खो देते हैं और अपनी इच्छाओं और व्यसनों के शिकार हो जाते हैं तो हम अपनी लड़ाई नहीं जीत सकते है। इसलिए अपने दिमाग को अपने लक्ष्यों और दिल से भी जोड़कर रखना भी आवश्यक है।


          Picture Credit artiswell/instagram

3. शांत रहें और आगे बढ़ें।

 भगवान शिव को 'महा योगी' कहा जाता था क्योंकि उन्होंने ब्रह्मांड की भलाई के लिए घंटों ध्यान लगाया था।  मन की अशांत स्थिति ही केवल अत्यधिक परेशानियों की मूल जड़ है। अगर हम हमारे मन को काबू में कर लेंगे तो इस प्रकार इस तथ्य को उजागर करते हुए हम तनावपूर्ण स्थिति में शांत रहकर ही आधी लड़ाई जीत सकते हैं।  किसी समस्या को सुलझाने के लिए यह वास्तव में सबसे अच्छी रणनीति है।

4. भौतिकवादी खुशी कभी भी लंबे समय तक नहीं रहती है।

कुछ समय के लिए हमे भगवान शिव की पोशाक पर एक नज़र डालनी चाहिए। केवल बाघ की खाल, त्रिशूल और डमरू से सुसज्जित भगवान शिव हमेशा धन अन्य सौंदर्य से से दूर रहे है, श्मशान घाट की राख की उन का आभूषण है। वर्तमान में यही धारणा प्रचलित हो गई है कि यदि आप धन और भौतिकवादी चीजों से नहीं जुड़े हैं तो आप जीवन में कुछ नहीं कर रहे हैं। जो कि सरासर गलत है क्यो की मनुष्य इन सब भौतिकतावादी संसार मे अपने लक्ष्य को खो रहा है। धन दौलत हमे कुछ समय सुख दे सकते किन्तु भौतिकवादी आनंद अस्थायी है। हमे घटनाओं और अनुभवों में अपनी खुशी खोजने की जरूरत है, न कि चीजों में।

5. कैसे नकारात्मकता को सकारात्मक सोच में परिवर्तित कर सकते हैं।

 देवाधिदेव भगवान शिव 'नीलकंठ' हैं क्योंकि उन्होंने 'हलाहल' नाम का जहर सम्पूर्ण सृष्टि को बचाने के लिए पिया था जो की समुद्र मंथन से निकला था।  केवल शिव ही इस विष को पी सकते थे और इसे अपने गले में दबा सकते थे। इस घटना के पीछे का महत्वपूर्ण सबक हमारी समाज व देश की प्रगति में हमारा अपना दायत्व होना चाहिए और इसे हम सकारात्मकता में बदलना चाहिए ना कि खुद की जिम्मेदारियों से मुह फेरना चाहिए।

6. इच्छाएँ जुनून की ओर ले जाती हैं और जुनून विनाश का कारण बनता है।

चूंकि भोलेनाथ इच्छाओं से मुक्त थे। भगवान शिव ने कभी भी अनर्गल व भौतिकतावादी चीजों पर ध्यान नहीं दिया।  यह एक तथ्य है कि इच्छाएं हमेशा जुनून की ओर ले जाती हैं, और ये बदले में हमें आत्म-विनाशकारी बनाते हैं।

 7. सब का सम्मान करें।

 शिव अर्धनारीश्वर भी कहलाते है। जहाँ उनका आधा हिस्सा  माता पार्वती का है।  उन्होंने माता पार्वती को अत्यधिक सम्मान दिया और उन की देखभाल की।  वह उसकी 'शक्ती' थी और उसने उसे वह महत्व दिया जिसके वह हकदार थी। अर्थात प्रकृति में हर वस्तु हम से जुड़ी हुई है जैसे हवा, पानी, अग्नि, सूर्य, मिट्टी, पशु, पक्षि, किट-पतंगें सब का अपना अपना महत्व है हमे भी सब के अस्तित्व को व उन के द्वारा किए जाने वाले कार्यो का सम्मान करना चाहिए।

8. आपको अपने अहंकार को नियंत्रित करना चाहिए और गर्व को छोड़ देना चाहिए।

आपका अहंकार ही एक ऐसी चीज है जो आपको महानता प्राप्त करने से रोकता है।  यह आपका अहंकार है जो आपके लक्ष्यों और आपके सपनों के बीच आता है। और आपको कम प्यार करने वाला बनाता है। भगवान शिव ने अपनी श्रेष्ठता को कभी भी अपने अहंकार में परिवर्तित नही होने दिया।  उन्होंने कभी भी अपने अहंकार को पनपने नही दिया। दूसरी ओर न ही भगवान शिव ने किसी और के अहंकार को सहन किया।

 9. किसी ऐसी चीज पर पूरी तरह से अनुसंधान करें जिसमें आप जानने की इच्छा रखते हैं।

शिव के बालों में गंगा अज्ञानता के अंत का प्रतीक है।  इसका मतलब है कि आपको पता होना चाहिए कि आप क्या कर रहे हैं।  तथ्यों के बारे में इनकार करने से मदद नहीं मिलने वाली है। हमे खुद ही अपनी समस्याओं का हल खोजना पड़ता है।

10. समझें कि सब कुछ अस्थायी है।


महा योगी 'मोह माया' के लिए नहीं आते हैं।  वे जानते हैं कि जीवन अल्पकालिन है और जो आज होता है वह हमेशा के लिए नहीं होने वाला है। समय बदलता है और हम ऐसा करते हैं।

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