महादेव :
चहचाने वाली चिड़ियों का गान हमेशा प्रसन्नता का गान नहीं होता, दुःख , पीड़ा और मोह ये सब अलग नहीं है , एक समान है , तुम्हारा मोह ही तुम्हारा दुःख है , और तुम्हारे मोह का त्याग तुम्हे पूर्णरूप से सुखी कर सकता है |
महर्षि नारद :
ऋतुओ के संधि काल में (वसंत के आगमन और शीत के आगमन ) , उनका एकांकीपन , उनका हम सब से अलग रहना , स्वयं से भी अलग रहना , महादेव के इस वैराग्य में कई शताब्दियों कि पीड़ा है । शिव विभाजित है , उन्हें अलग कर दिया गया था सृस्टि के सञ्चालन के लिए उन्हें अपना सबसे प्रिय को अलग करना पड़ा था , आज ही के दिन , यही वो दिन है नंदी , शिव ने स्वयं को टुकड़ो में बाँट कर , प्रकृति को नया रूप दिया था ।
महादेव :
समाधी क्या है नंदी ? बस एक द्वार ही तो है , अस्तित्वा से निकल कर स्वयं को पाना है समाधी , जीवन से मृत्यु कि छलांग है समाधी , होने से न होने कि यात्रा ।
Picture Credit Instagram/@byshounak
नंदी :
प्रभु आप तो आदिनाथ है , सर्वग्य है , आप को कैसे इस अनुभूति का अर्थ मालूम न होगा ?
( http://theshivshakti.blogspot.com/2020/01/quotes-from-mahadev-part-1.html)
महादेव :
सर्वग्य कहो या आदिनाथ , ये नाम तो तुमने और तुम जैसे भक्तो ने मुझे दिया है , लेकिन तुम भूल रहो हो नंदी , सर्वग्य होना ही अहंकार को जन्म देता है , जब मुझमे अहंकार ही नहीं तो मैं सर्वग्य कैसे हुआ ?
संपूर्ण होने के लिए भी कुछ न जानना ज़रूरी होता है ।
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